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Tuesday, September 9, 2008

आलू बेटा ... कहाँ गए थे

आलू बेटा ... कचालू बेटा, कहाँ गए थे
बेंगन की टोकरी में सो रहे थे
बन्दर ने थप्प्ड़ मारा रो रहे थे
मम्मी ने प्यार किया हंस रहे थे
पापा ने पैसे दिए नाच रहे थे
भइया ने लडू दिए खा रहे थे ...। ।



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